जगत के पालनहार श्री नारायण जी
श्री नारायण, जिन्हें भगवान विष्णु के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म के सबसे प्रमुख देवताओं में से एक हैं। उन्हें सृष्टि के पालनहार के रूप में माना जाता है। विष्णु त्रिदेवों में से एक हैं—ब्रह्मा सृष्टि के निर्माता, शिव संहारक, और विष्णु पालनकर्ता। उनकी भूमिका है संसार की रक्षा करना, जीवों को सुख और शांति प्रदान करना, और जब भी धरती पर अधर्म बढ़ता है, तब धर्म की स्थापना के लिए अवतार लेना।
श्री नारायण का स्वरूप
भगवान विष्णु का स्वरूप अत्यंत दिव्य और सौम्य है। वे नीले रंग के शरीर वाले हैं, जो अनंत आकाश और सागर का प्रतीक है। उनके चार हाथ होते हैं, जिनमें वे शंख (पंचजन्य), चक्र (सुदर्शन), गदा (कौमोदकी), और पद्म (कमल) धारण करते हैं। ये उनके कर्तव्यों और गुणों का प्रतीक हैं—शंख ध्वनि ब्रह्मांडीय ऊर्जा का, चक्र अधर्म का नाश करने का, गदा शक्ति का, और कमल पवित्रता का प्रतीक है।
उनका वाहन गरुड़ है, जो स्वर्ग और पृथ्वी के बीच संतुलन बनाए रखता है। उनकी पत्नी देवी लक्ष्मी हैं, जो धन और समृद्धि की अधिष्ठात्री देवी मानी जाती हैं।
भगवान नारायण के अवतार
जब-जब धरती पर अधर्म बढ़ता है, भगवान विष्णु विभिन्न रूपों में अवतरित होकर धर्म की पुनर्स्थापना करते हैं। उनके दस प्रमुख अवतारों को "दशावतार" कहा जाता है, जिनमें मत्स्य, कूर्म, वराह, नरसिंह, वामन, परशुराम, राम, कृष्ण, बुद्ध और कल्कि शामिल हैं। ये अवतार मानवता के लिए उनके योगदान और उनकी दयालुता का प्रतीक हैं।
श्री नारायण की महिमा
श्रीमद्भागवत और विष्णु पुराण में भगवान विष्णु की महिमा का विस्तृत वर्णन मिलता है। ऐसा माना जाता है कि वे क्षीरसागर में शेषनाग पर योगनिद्रा में रहते हैं। उनके नाभि से ब्रह्मा उत्पन्न हुए, जिन्होंने इस सृष्टि का निर्माण किया।
भगवान विष्णु की आराधना से जीवन में शांति, सुख, और समृद्धि आती है। "ॐ नमो नारायणाय" उनका प्रमुख मंत्र है, जिसे जपने से भक्त को आध्यात्मिक शांति मिलती है।
विष्णु सहस्त्रनाम
विष्णु सहस्त्रनाम, जो भगवान विष्णु के 1000 नामों का संग्रह है, उनकी महिमा को व्यक्त करता है। इसे पढ़ने और सुनने से मनुष्य के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं।
भगवान नारायण और भक्ति मार्ग
श्री नारायण की पूजा भक्तों को अधर्म से दूर ले जाकर धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है। उनकी लीलाओं से हमें सिख मिलती है कि सच्चाई, दया, और कर्तव्यपालन जीवन का मुख्य उद्देश्य है।
श्री नारायण की उपासना हमें यह सिखाती है कि चाहे कितनी भी कठिन परिस्थितियां क्यों न हों, विश्वास और भक्ति के बल पर सब संभव है। वे हर युग में अपने भक्तों की रक्षा करते हैं और उन्हें जीवन का सही मार्ग दिखाते हैं।