मुंबई ऑटो ड्राइवर का अनोखा Hustle: कैसे बना ₹5‑8 लाख महीना का बिजनेस?
मुंबई के US कांसुलेट, BKC के बाहर एक साधारण ऑटो रिक्शा चालक ने कुछ ऐसा शुरू किया जिसने सोशल मीडिया पर तहलका मचा दिया। वोकर आदेश: “Sir, bag de do, safe rakhunga” बस ₹1,000 के रेट पर। आज कहा जाता है कि उसकी कमाई ₹5‑8 लाख तक पहुंचती थी।
बिजनेस का आईडिया: “बिना राइड, बिना ऐप, सिर्फ जुगाड़”
- US वीजा आवेदकों को बैग ले जाने की अनुमति नहीं in official lockers भी कोई सुविधा नहीं होती।
- वहीं, रोज़ाना 20‑30 लोग बैग छोड़ते थे ₹1,000 प्रति बैग (₹20,000‑30,000 रोज़ाना)
- अपने ऑटो को पार्क करके ड्राइवर बस पास में वैकल्पिक स्टोरेज स्पेस का रास्ता बना देता था ज्यादातर पुलिस सहयोग से संचालित।
कमाई का गणित और नुकसान‑फायदे
20‑30 ग्राहकों × ₹1,000 = ₹20,000‑30,000 रोज़ × ~25 कामकाजी दिन = ₹5‑8 लाख मासिक।
फायदे: कोई वाहन खर्च नहीं, टेक्नोलॉजी या ऐप की ज़रूरत नहीं। सिर्फ एक-meter spot और भरोसे का नेटवर्क।
नुकसान: यह सेवा आवासीय और कानूनी दृष्टि से अवैध थी। पुलिस ने हिजाब्स में इस पर रोक लगा दी।
सोशल मीडिया पर वायरल कैसे बनी कहानी?
VenueMonk के को-फाउंडर Rahul Rupani द्वारा LinkedIn पर ये कहानी साझा की गई, जिसमें उन्होंने लिखा:
“इस ऑटो वाले ने बिना MBA, बिना फंड, सिर्फ अपनी street smartness के दम पर ₹5‑8 लाख महीना कमाया। यह model solving a hyper‑specific pain point था.”
कोई व्यापारी, कोई उद्योगपति उसे ‘pure Indian juggad’ बता रहा था — लेकिन दूसरी ओर कुछ लोगों ने उसकी legality पर सवाल उठाए।
पुलिस की कार्रवाई और कानूनी सफाई
मुंबई पुलिस ने इस ऑपरेशन को तुरंत बंद कराया और ड्राइवर सहित 12 अन्य लोगों को बुलाया। बताया गया कि उनका License सिर्फ pasajeros लेकर चलने के लिए है, पार्श्व बिजनेस मॉडल नहीं चलाने के लिए।
पुलिस ट्रांसपोर्ट विभाग ने स्पष्ट किया कि पेपर्स की जाँच जारी है और ऐसा व्यवसाय सुरक्षा प्रोटोकॉल तोड़ता है।
यह किसे प्रेरित करता है?
- नए-पुराने दोनों छोटे उद्यमियों को — कि आवश्यकता की पहचान कर पैसा भी कमाओ।
- स्थानीय स्तर पर लोगों को बताता है कि रिवाज (usage) सुरक्षा बनाम सुविधा के बीच कहीं मतभेद होता है।
- डिजिटल न होने पर भी, आप street-level hustle से बड़ा business खड़ा कर सकते हैं।
सीखने योग्य बातें
- Problem‑solve कीजिए: लोगों को समाधान चाहिए, वो पैसे देते हैं।
- Trust और reliability बहुत जरूरी है — इस बिजनेस का आधार केवल भरोसे की नींव पर था।
- स्थानीय पुलिस के सहयोग को सामाजित करें—यह उसे वैध बनाने में मदद करता है (लेकिन खतरों से भी आगाह करता है)।
निष्कर्ष
इस ऑटो ड्राइवर की कहानी भोजपुरी‑दुनिया में एक अलग तरह की Hustle की मिसाल है: बिना कागज, बिना ऐप, सिर्फ भीतर की आवश्यकतावादी समझ — और ₹5‑8 लाख महीना कमाना। लेकिन जब पुलिस हस्तक्षेप होता है, तो legality की दास्तां उजागर हो जाती है।
इससे हमें पता चलता है कि कितनी भी हाई‑टेक दुनिया क्यों न हो, कभी-कभी low-tech solutions भी viral हो सकते हैं — बशर्ते वो भरोसे और समय के साथ काम करें।
Disclaimer: यह लेख सरकारी रिपोर्ट नहीं, बल्कि सार्वजनिक रूप से प्राप्त समाचार स्रोतों सोशल मीडिया पोस्ट (LinkedIn Rahul Rupani) पर आधारित है। यदि कोई तथ्य अमान्य हो, तो कृपया बताएं — लेख अपडेट किया जाएगा।