आदित्य: भारत की पहली सौर ऊर्जा से चलने वाली नाव

आदित्य: भारत की पहली सौर ऊर्जा से चलने वाली नाव

                                  
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भारत ने पर्यावरण के क्षेत्र में एक बड़ा कदम उठाते हुए अपनी पहली सौर ऊर्जा से चलने वाली नाव ‘आदित्य’ को सफलतापूर्वक लॉन्च किया है। यह नाव न केवल तकनीकी दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि पर्यावरण-संरक्षण की दिशा में भी एक प्रेरणादायक पहल है।

क्या है 'आदित्य'?

‘आदित्य’ एक आधुनिक तकनीक से युक्त सोलर फेरी बोट है, जो पूरी तरह से सौर ऊर्जा पर आधारित है। इसका विकास भारत की NavAlt Solar and Electric Boats कंपनी ने किया है। यह नाव केरल के कोचीन शहर में नियमित रूप से यात्रियों को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाने के लिए चलाई जाती है।

कैसे काम करती है यह नाव?

आदित्य नाव की छत पर कई सोलर पैनल

यदि मौसम खराब हो और धूप न हो, तब भी नाव की बैटरियां पहले से चार्ज रहती हैं और 6-8 घंटे तक बिना धूप के भी नाव सुचारु रूप से चल सकती है।

आदित्य की प्रमुख विशेषताएं

• यह नाव पूरी तरह से शून्य प्रदूषण करती है।
• इसमें 75 यात्रियों के बैठने की क्षमता है।
• हर दिन यह नाव लगभग 22 किलोमीटर की दूरी तय करती है।
• यह एक बार चार्ज होने पर करीब 6 घंटे तक चल सकती है।
ईंधन की कोई आवश्यकता नहीं होती है जिससे हर साल लाखों रुपये की बचत होती है।

तकनीकी विवरण

• लंबाई: 20 मीटर
• चौड़ाई: 7 मीटर
• अधिकतम गति: 7.5 नॉट्स
• सोलर पैनल क्षमता: 20 kW
• बैटरी क्षमता: 50 kWh

भारत के लिए इसका महत्व

‘आदित्य’ न केवल एक नाव है बल्कि यह भारत के पर्यावरण जागरूकता और हरित ऊर्जा मिशन की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह अन्य राज्यों को भी प्रेरित करता है कि वे पारंपरिक डीज़ल या पेट्रोल से चलने वाले जहाजों के स्थान पर सौर चालित नौकाओं को अपनाएं।

पर्यावरण पर प्रभाव

• प्रति वर्ष 58,000 लीटर डीजल की बचत होती है।
• लगभग 1 लाख किलोग्राम कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन की रोकथाम होती है।
• जल और वायु प्रदूषण में भारी कमी आती है।

क्या भविष्य में और नावें आएंगी?

NavAlt जैसी कंपनियां अब और सोलर फेरीज़ पर काम कर रही हैं। भविष्य में भारत में कई राज्यों के लिए यह सोलर बोट्स बड़े पैमाने पर शुरू की जा सकती हैं। विशेष रूप से केरल, गोवा, महाराष्ट्र और तमिलनाडु जैसे तटीय राज्यों में इसका प्रयोग तेजी से बढ़ सकता है।

निष्कर्ष

आदित्य नाव भारत के लिए एक हरित क्रांति की शुरुआत है। यह तकनीक, पर्यावरण और यात्रियों – तीनों के लिए लाभकारी है। ऐसे प्रयासों से न केवल देश में स्वच्छ ऊर्जा का उपयोग बढ़ेगा, बल्कि विश्व मंच पर भारत की सकारात्मक छवि भी बनेगी।

Disclaimer:

यह लेख सार्वजनिक रूप से उपलब्ध जानकारियों और NavAlt कंपनी द्वारा जारी सूचनाओं पर आधारित है। इसमें दी गई तकनीकी जानकारी सटीकता की दृष्टि से समय के साथ बदल सकती है। कृपया आधिकारिक स्रोतों से पुष्टि अवश्य करें।

FAQs

Q1: आदित्य नाव की शुरुआत कब हुई थी?

आदित्य नाव की शुरुआत जनवरी 2017 में केरल के कोचीन में हुई थी।

Q2: क्या यह नाव बारिश या बादल होने पर भी चल सकती है?

जी हां, इसमें बैटरी बैकअप है जो बिना सूरज की रोशनी के भी 6 से 8 घंटे तक नाव चला सकती है।

Q3: इसमें कितने यात्री बैठ सकते हैं?

इसमें 75 यात्रियों के बैठने की क्षमता है।

Q4: क्या भारत में और भी सौर नावें चलेंगी?

हां, भविष्य में अन्य राज्य भी इस तकनीक को अपनाने की योजना बना रहे हैं।

Q5: क्या यह नाव पूरी तरह से प्रदूषण मुक्त है?

हां, यह नाव शून्य प्रदूषण करती है और पर्यावरण के अनुकूल है।

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