9 साल के इस बच्चे ने बिना रस्सी के गहरे कुएँ में उतरकर एक लोमड़ी को बचाया, उसे कमर से बाँध कर बाहर निकाला

एक बार की बात है, एक छोटे से गांव में नौ साल का एक बच्चा राजू रहता था। राजू न केवल बहादुर था बल्कि उसके दिल में जानवरों के लिए गहरा प्यार भी था। गांव के पास ही एक गहरा कुआं था, जो अब इस्तेमाल में नहीं था। एक दिन गांव में खबर फैली कि उस कुएं में एक लोमड़ी गिर गई है और वह मदद की गुहार लगा रही है।


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दसरत माँझी हिंदी कहानी


राजू ने यह सुना तो वह बिना देर किए कुएं की तरफ दौड़ पड़ा। वहां पहुंचकर उसने देखा कि लोमड़ी कुएं के नीचे फंसी हुई है और मदद के लिए चिल्ला रही है। गांववाले भी वहाँ इकट्ठा हो गए थे, पर किसी में इतनी हिम्मत नहीं थी कि वे कुएं में उतरकर लोमड़ी को बचा सकें। कुआं बहुत गहरा और संकरा था।


राजू ने सोचा, "अगर मैं इस लोमड़ी की मदद नहीं करूंगा, तो यह मर जाएगी।" उसने अपने पिता की रस्सी मांगी, लेकिन उन्हें कहीं नहीं मिली। राजू ने सोचा कि बिना रस्सी के ही कुछ करना पड़ेगा। उसने अपना हौसला बुलंद किया और बिना किसी डर के कुएं में उतरने का फैसला किया।


राजू ने अपने कपड़े मजबूत से कसकर बांधे और धीरे-धीरे कुएं में उतरने लगा। कुएं की दीवारें बहुत फिसलन भरी थीं, लेकिन राजू अपनी हरकतों में सतर्कता बरतता रहा। आखिरकार, वह लोमड़ी के पास पहुंच गया। लोमड़ी बहुत ही कमजोर और डरी हुई थी। राजू ने उसे सांत्वना दी और उसके चारों ओर अपने कपड़े को कसकर बांध दिया ताकि वह उसे अपनी पीठ पर लाद सके।


कुएं से ऊपर चढ़ना और भी मुश्किल था, लेकिन राजू ने हार नहीं मानी। वह धीरे-धीरे ऊपर चढ़ने लगा। गांववाले भी ऊपर से उसका हौसला बढ़ा रहे थे। आखिरकार, राजू कुएं के मुहाने तक पहुंच गया। गांववालों ने उसे और लोमड़ी को ऊपर खींचने में मदद की।


राजू और लोमड़ी सुरक्षित बाहर आ गए। गांववालों ने राजू की बहादुरी की बहुत प्रशंसा की और उसे हीरो मान लिया। लोमड़ी भी राजू की आंखों में कृतज्ञता से देख रही थी। राजू ने उसे जंगल में सुरक्षित छोड़ दिया।


इस तरह, नौ साल के राजू ने अपनी साहस और जानवरों के प्रति अपने प्यार से एक लोमड़ी की जान बचाई और गांववालों के दिलों में एक मिसाल कायम कर दी।

      

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